चुप रहें होंट ,कोई आह न निकले ,न कागज़ पे किसी स्याही से लिखा जाए
जो हर साँस कहती है, वो मन की बात ||
कैसे मुस्कुराते है गम ,कोई चीज़ जो छुप नही सकती
चेहरे की शिकन कहती है ,वो मन की बात ||
हुआ खाली मेरा समंदर ,अब आँसू नही निकलते ,
बस पलकों पे नमी रहती है ,कहती है ,वो मन की बात ||
लब्जों की कमी रहती है , हर बात मैं इशारे कहते हैं ,
बखूबी हर नजर कहती है , वो मन की बात ||
कहीं समन्दर तो कही सूखी जमीन है ,इस रेत को भिगो दे लहर कोई ,
हर लहर मैं उठी मोज कहती है । ,वो मन की बात
बिखरे हुए फूल, रुकी हुई हवा ,लोटती हुई लहर ,
कोन सी बहार ऊम्र्भर रहती है क्यूं बार -बार कहती है.वो मन की बात ||